Poetry

 

Poetry

Dr. Rupesh Sharma is pursuing his career in medicines in China and has a hobby of writing poems. Through this platform he has shared some of his collections.

आंसूओं से झिलमिलाती आँखों में

आज किसी ने पूछ ली हमसे हमारी जाति

आज के आरक्षण के दौर में

कब तक नयन भिगोएँगे ये पल भीगे भीगे से

कभी किसी पल मेरी भी आवाज़ सुनो माँ

कितने टुकड़ों में बाँटोगे भारत माँ के सीने को

पता नहीं वोह लोग

आज मैंने उन सीढ़ियों को चढ़ा है

फिर आई है सावन के झोकों में भीगती बेटी

भोर फिर पसरी है आकर